
कभी सोचा ही नही जा सकता कि सच्चई लोगो को खासकर राजनेताओं को चुभने लगी है भारत देश मे जहां बहुत से देवी देवताओं के मंदिरो् में कामसुत्र और ना जाने कैसे कैसे आसन जिसका जिक्र ना तो पुस्तको मे है और ना ही वेदो में कुछ आसन जरूर समझ में आते है लेकिन इन आसनो का उदेश्य और हिन्दु रितीरिवाजो के इस मंदिर में अश्लीलत क्यो फैला रहे है कौन है इस धर्म के ठेकेदार और क्यू हिन्दू धर्म को अश्लीलता के दायरे में खडा कर रहे है
ये सवाल उन राजनेताओं के लिए है जो सांसद में फालतू के प्रश्नों को उठाते है जबकि छ;ग; मे नक्सलवाद समस्या सहित पूरे देश में मंहगाई इस कदर बड चुकी है कि लोग अपने लिए भोजन की व्यवस्था नही कर पा रहे है और इन राजनेताओं को भारत की संस्क़ति और समाज के लिए क्या देखना चाहिए और क्या नही देखना चाहिए इसकी चिंताएं ज्यादा सताने लगी है जो सच जैसे कार्यक्रम को प्रसारित करने को लेकर सेंसरशिप लगाने की बात कह रहे है , सच कडवा होता है सुना और देखा भी था लेकिन सत्यमेव जयते कि शुरूआत संसद के हंगामे और अश्लीलता के उदाहरणों के साथ हो रही है
2 comments:
हमारे नेता सच के मामले मे गोयबल्स को मानते है जो कहता था कि झूठ को सौ बार बोलो तो सच हो जाता है
शरद जी सही कह रहे हैं वैसे अगर सभी नेताऔ को इस कुरसी पर बिठा दिया जाये तो तो भी आप इन से सच नहीं उगल्वा सकेंगे वैसे हो सकता है इस मे भाग लेने वले लोगों के सम्बन्ध भी किन्हीं नेताओं से हों तभी इन्हें डर सता रहा हो बडिया आलेख आभार्
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