
गली मोहल्ले मे तिरंगा फहराने का इंतजार करते लोग और खुशी के बीच मेरी चुप्पी ना जाने क्यों मन ही मन चुभ रही थी तिरंगे के नीचे महापुरूषों की दुर्दशा अपने अपमान से कम नही इन सब मे भी चौकाने वाली बात रही गांधीमय ध्वजारोहण मै मेरी भावनाओं के साथ या किसी की भावनाओं के साथ खिलवाड करना नही चाहता लेकिन मेरी बेबाकी जायज है क्यों कि संविधान के निर्माता डा; भीमराव अम्बेडकर फिर अछूते दिखें ृृृृृ आजादी से पूर्व अपने आजादी की परवाह किए बिना अछूतों के हक की लडाई लडने वाले मेरे आदर्श महापुरूष को उन्ही लोगो ने अछूत बना दिया जो गर्व से इस महापुरूष के च्रयास से उच्च पदो पर आसीन है। गली मोहल्ले कालोनी मे तो गांधी मगर मेरे देश में क्या बाबा साहब के लिए नही है. मै हमेशा तो ऐसी मांगे नही करता लेकिन क्या बाबा साहेब को पूजा जाना या उनके कार्यों की बखान करना अछूतों की श्रेणी मे खडा करता है मुझे मेरी जिम्मेदारीयों का एहसास भी है फिर भी मै कुछ नही कर सकता
मै दावा के साथ कह सकता हू की मेरे देश मे छूआछूत खत्म नही हुआ है और छूआछूत खत्म करना कोई नही चाहता क्यो की मान-सम्मान और प्रतिष्ठा इसी सें बनी रहती है इन सबके बावजूद कोई संविधान के बारे मे कुछ बताना नही चाहता और क्यो बताएं अगर आम लोगो को अपने अधिकारों की जानकारी हो गई और जाग गए तों देश में भ्रष्ट मंत्री अधिकारी आई एस कुलपति नही बनेंगे लेकिन कुछ स्वार्थ के लिए महापुरूषो का अपमान हुआ है खासकर एससी एसटी और ओबीसी वर्ग के उच्च पदस्थ लोगो को शर्म आनी चाहिए जो इन महापरूषों के सम्मान के लायक नही है।
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