Wednesday, September 10, 2008

धर्म क्या है पहले पहचानिएं फिर धर्मांतरण की बात करिए ?



दो घटनाओ ने मेरा ध्यान किसी सम्प्रदाय के विरोध में लिखने को मजबूर कर दिया, पहली घटना सरायपाली के ग्राम खोखेपुर में दलित उत्पीडन की है जिसमे वहा के 20 प्रतिशत दलितों को प्रताडित कर मारपीट किया गया और घर के अंदर बंद कर जलाने का प्रयास किया गया यह बात सिर्फ एक गांव की ही नही छत्तीसगढ के अनेको गांव में इस प्रकार की घटना होती रहती है मगर कोई संस्था खुलकर बोलने की हिम्मत नही करता जब तक उसे कोई फायदा न हो, सरायपाली की इस घटना ने दलितों को डर-डर के जीने को मजबूर कर दिया है और इस गांव मे भेदभाव छुआछुत होने से दलितों का जीना मुश्किल हो गया है

दूसरी घटना रायपूर होलीक्रास स्कूल की है जिसमे धर्म के ठेकेदारों ने स्कूल की शिक्षा व्यवस्था के बजाय छात्रों की बाइक पर लगे स्टीकर पर विरोध जताया है इन धर्म के ठेकेदारों का आरोप है कि मिशनरी स्कूल छात्रो को स्टीकर के बहाने धर्मांतरण के लिए प्रेरित कर रही है जिससे हिंदू धर्म को खतरा है ये रायपुर राजधानी मे पहली बार नही हुआ ब्लकि इसाइयों पर लगातार धर्मांतरण का आरोप लगता आया है और किसी न किसी प्रकार से इसाइयों को मानसिक रूप से प्रताडित किया जाता है।

मेरा ज्ञान कम जरूर हो सकता है परंतू मैने अपने स्कूल मे वसूधैव
कुटूम्बकम, अनेकता मे एकता और हिंदू मूस्लिम सिख इसाई हम सब भाई-भाई जैसे अध्याय का अध्ययन किया और जब फिर दलितों के मसीहा और हिंदू धर्म को कलंक कहने वाले तथा बडी संखया में धर्मांतरण करने वाले बाबा साहेब के जीवनकाल की घटना का अध्ययन किया तो धर्मांतरण करने की मजबूरी (प्रेरणा) धर्म एवं समाज मे फैली इसी छूआछूत की भावना से मिलती है।
अपने आप को हिंदू कहना और ब्राम्हणवाद के मनुवादी शास्त्रों के लिए दलितों को प्रताडित करना इसी हिंदूस्तान की रीत है जो शूद्रों को हिंदू होने का दर्जा ही नहीं धर्मांतरण विरोधी होने का दर्जा भी दिलाती है भारत को हिंदूस्तान कहने वालें आज भी कोई कसर नहीं छोडते और न ही भेदभाव-छूआछूत को बढावा देने से कतराते है और तब दलितों के पक्ष मे कोई धर्म के ठेकेदारो ध्दारा कार्यवाही नही की जाती इन ठेकेदारों को अपने धर्म के बजाय इसाई मिशनरीयों का धर्मांतरण प्रचार चुभता है गांव शहर मे इस प्रकार की घटना आम है मेरे कलम घिसाने में भी मेरी हिंदूवादी सभ्यता आडे आती है कही धर्म के ठेकेदार यहां भी न हो और मेरे हिंदू होने पर सवालिया निशान उठाएं इसलिए मेरी मजबूरी आधे मे ही दम तोंड रही है अगर मेरे नये सहयोगियो का साथ मिला तो आगे ज्यादा और पूरी कलम घिसूंगा

2 comments:

Udan Tashtari said...

आप अपने विचार प्रकट करिये. कलम पर किसी प्रकार का दबाव न महसूस करें..जारी रहें.

Anil Pusadkar said...

बहुत-बहुत बधाई जितेन्द्र,खूब तरक्की करो। ये वेरिफ़िकेशन का टैग हटा देना।