छत्तीसगढ़
में
90 विधानसभा सीटो के लिए अधिकांश पार्टी ने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है। दूसरी बार हो रहे छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की तैयारियां को लेकर पार्टियों में काफी उत्साह है। पर सोचने वाली बात ये है कि महाराष्ट्र नवनिर्माण पार्टी के प्रमुख राज ठाकरे के बढ़ते क्षेत्रवाद के विचारधारा का असर भी छत्तीसगढ़ के पार्टियों में देखने को मिल रही है। हाल ही में कई पार्टियों का गठन हो चुका है। और कुछ राजनेता नई पार्टियां गठन करने की योजना बना रही है। जो छत्तीसगढि़या सबले बढि़या वाले मानवतावादी नारा उपयोग करने के बजाय जो छत्तीसगढ़ की बात करेगा वो छत्तीसगढ़ में राज करेगा, जैसे उत्तेजनात्मक नारों का का प्रयोग कर रहे हैं। जिससे 'छत्तीसगढ़ में राज करेगा' जैसे शब्द राज ठाकरे की बिहारियों के प्रति आक्रोश को प्रदर्शित कर रही है। आए दिन राजधानी रायपुर में छत्तीसगढ़ी हित में बात करने वाले राजनीतिक पार्टियां प्रेस कांफ्रेंस लेने लगे हैं जो यह कहते हैं कि जब तमिलनाडु में तमिल, बंगाल में बंगाली, गुजरात में गुजराती, पंजाब में पंजाबी, उड़ीसा में उडि़या राज करते हैं तो सामान्य न्याय के मुताबिक छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढि़या राज होना चाहिए।

ये राजनीति मुद्दा कोई नया नहीं है। नंद कुमार साय (भूतपूर्व नेताप्रतिपक्ष) ने भी इससे पहले छत्तीसगढि़या की जगह आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने की मांग उठाई थी। हाल ही में छत्तीसगढ़ विकास पार्टी छत्तीसगढिया मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा और 1750 रूपया वोटर पेंशन देने की बात कह चुके हैं। छत्तीसगढ़ प्रदेश में जातिगत भेदभाव से ऊपर उठकर और सर्वजनों के हित में घोषणा करने वाली झूठी पार्टियां अपना चेहरा छुपा रही है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में प्रतिनिधि आम चुनाव से ही चुना जाता है। जो भारत देश के लिए गौरव की बात है परंतु जातिगत क्षेत्रवाद का मुद्दा किसी राज्य की जनता के लिए फायदेमंद हो सकता है। लेकिन भारत जैसे विकासशील देश में ये मुद्दा राष्ट्र के विकास में ज़रूर बाधा उत्पन्न कर सकती है।
1 comment:
जातिवाद छ्त्तीसगढ मे एक विकट समस्या बनकर उभरने वाली है !!
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