Thursday, September 25, 2008

छत्तीसगढ़ में परिसीमन के बहाने भाजपा सरकार

हाथ में त्रिशूल ,दिल में बदले का भाव , गुस्से के रूप में हिन्दुत्व के दुश्मनों का खात्मा करना और लक्ष्य भारत में हिंदूओं की रक्षा करना । यह कोई चुनावी मुध्दा नही और ना ही किसी राजनीतिक पार्टी का घोषण्ाा पत्र पढ़ा जा रहा है। ये हिंदूत्व की रक्षा के लिए बनाएं गाएं बजरंग दल की तारीफ है जिसे बंद करने की योजनाएं बनाई जा रही है बजरंग दल की पार्टी एक धर्म विशेष की पार्टी है जो भागवान की आस्था के साथ लोगों को अपनी पार्टी में जोडते है। इसका एक बडा फायदा भारतीय जनता पार्टी को भी जाता है जो की हिंदूत्व के मुध्दे पर चनाव लड़ते है

ये हिदूत्व की रक्षा के लिए बनाएं गाए पार्टी है इस प्रकार हर धर्म के लिए ठेकेदार नैतात है जो अपनी धर्म की रक्षा के लिए दूसरो पर आत्याचार करते है? गलती कोई भी करे धार्मिक स्थलों को ही निशाना बनाया जाता है चाहे वह हिंदूओ के अक्षरधाम मंदिर की हो या कनार्टक के चर्च मे हुई तोड़फोड ?या फिर दिल्ली में हुए बम धमाके मे सिमी जैसे मुस्लिम संगठन का हाथ ? इसमें कितने हिंदूओ की मौत होती है या कितने मुस्लिम ,ईसाई ,सिख मारे जाते है यह कोई नही देखता ? धार्मिक स्थलो को नुकसान पहूंचाना पहली प्राथमिकता होती है। इन सबके बढ़ने के पीछें लोकतांत्रिक देश मे राजनीतिक पार्टी को ही दोष दिया जा सकता है। और यही सच्चाई है ,धर्म से राजनीति का गहरा ताल्लुक रहा है और इसी ताल्लुकाना रिश्तें का गलत अपयोग होते रहता है हिंदूत्व के नाम पर राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी के एकाएक शुर बदल जाते है और मुस्लिम वोट बैंक जिसकी आबादी मात्र 2 प्रतिशत है उसको रिझाने के लिए अब्दुल कलाम जैसे मुस्लिम राष्ट्रपति का हवाला दिया जाता है वही गुजरात जैसे प्रदेश में भाजपा मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी हिंदुत्व के मुध्दे पर चुनाव लडती है और अन्य धर्म के लोगों को देशद्रोही और आतंकवादी कहने से नही चुकते अब मोदी जी ही बताएं की किस धर्म विशेष के लोग आतंकवादी बनती है?
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव होने वाले है और छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है यहां भी अनेक भाजपा के संघटन है जो जातिगत मुध्दे पर चुनाव लड़ती है और परिसीमन से समीकरण बिगड़ चुका है ऐसे समय मे लंबे समय तक मुध्दे बदलने वाली भाजपा एक नये मुध्दे के साथ फिर धोखे में रख सकती है मेरा व्यक्तिगत मुध्दा कुछ नही मगर आधे-अधूरे योजनाओं के बाद चुनाव की योजनाएं बनाना ,साथ ही पांच साल के कार्यकाल के बाद योजना अधूरा होना एक बड़ा मुध्दा है जो राजनीतिक पार्टीयां नहीं उठा सकती ,इसके लिए आम जनता को जागरूक होना पडेगा इसके लिए पत्रकारो को ईमानदार होना पडेग़ा लोकतांत्रिक देश मे लोकतंत्र को मजबूत बनाना पडेगा ?

1 comment:

सचिन मिश्रा said...

Bahut accha likha hai. likhte rahiya.