गए सलवा जुडूम आंदोलन से हो रहे अत्याचार पर,,, छत्तीसगढ मे सलवा जुडूम आंदोलन को क्लिन चीट मिल चुकी है संवेदनशील इलाकों से आदिवासीयों को सलवा जुडूम कैंप में रखकर भरपूर ख्याल रखा जा है, जिसमे मेरे एक मित्र तुलेन्द्र पटेल की कविता से आंदोलन और न्याय करने की रीति नीति से मानवता कलंकित हो चुकी है........?मानव बढ् गए है
मानवता घट गयी है
पहले भावना विशाल थी
अब सिमट रहे है

बाद रही है दूरियां
आदमी की आदमी से
इंसान की लाश अब
चौराहे पर लटक रहे है
किसी की कलाई मे

सोने की घडी होती है
किसी की कार
मोंतियों से जडी होती है
और किसी की लाश
बिना कफन के पडी होती है


1 comment:
यथार्थवादी कविता । सच्चाई को बयान करती है । बहुत सुन्दर लिखा है ।
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