Tuesday, October 7, 2008

कही गुम हो गई है मानवता....?

राष्‍ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्धारा उच्‍चतम न्‍यायालय में सौंपी एक रिपोर्ट में नक्‍सली गतिवधियों पर काबू पाने के लिए शुरू किए गए सलवा जुडूम आंदोलन से हो रहे अत्‍याचार पर,,, छत्‍तीसगढ मे सलवा जुडूम आंदोलन को क्लिन चीट मिल चुकी है संवेदनशील इलाकों से आदिवासीयों को सलवा जुडूम कैंप में रखकर भरपूर ख्‍याल रखा जा है, जिसमे मेरे एक मित्र तुलेन्‍द्र पटेल की कविता से आंदोलन और न्‍याय करने की रीति नीति से मानवता कलंकित हो चुकी है........?
मानव बढ् गए है
मानवता घट गयी है
पहले भावना विशाल थी
अब सिमट रहे है
बाद रही है दूरियां
आदमी की आदमी से
इंसान की लाश अब
चौराहे पर लटक रहे है
किसी की कलाई मे
सोने की घडी होती है
किसी की कार
मोंतियों से जडी होती है
और किसी की लाश
बिना कफन के पडी होती है

1 comment:

Unknown said...

यथार्थवादी कविता । सच्चाई को बयान करती है । बहुत सुन्दर लिखा है ।