Monday, October 13, 2008

सलवा जुडूम के संदर्भ मे

छत्‍तीसगढ़ में नक्‍सल समस्‍या से प्रदेशवासी अवगत है लेकिन पुलिस महानिदेशक विश्‍वरंजन का कहना है कि यह समस्‍या ए‍क राष्‍टीय समस्‍या है बडी देर से ही सही लेकिन पुलिस महानिदेशक इस समस्‍या को लेकर चिंतित दिखे ही। लेकिन दूसरी ओर एक खबर हवे मे उडकर आयी वो ये कि, बजरंग दल और अन्‍य धार्मिक संगठन पर भी प्रतिबंध लगया जा रहा है पता नही देश का क्‍या हाल होगा लेकिन अगर धार्मिक संगठन को बंद कर दिया गया तो लाठी, डंडे और तलवार, भाले ,ऋशूल वाले संगठन पार्टी का क्‍या होगा, और सलवा जुडूम का क्‍या होगा जहां आदीवासी तीर धनूष के बल पर नक्‍सलीयों से लडते है मै तो सोच रहा था कि बजरंगी सलवा जुडूम का साथ देने वाले है और वैसे भी आदीवासी वर्ग ही धर्मांतरण कर रहे है एक तीर से दो निशाना हो जाएगा। नक्‍सली समस्‍या भी खत्‍म हो जाएगा ।
जिस धार्मिक संगठन को राजनीतिक पार्टियां आतंकवादी संगठन कह रही है वह तो जानते ही नही कि अस्‍त शस्‍त का उपयोग करने संगठन नक्‍सली इलाकों मे कूच करने वाले है ऐसे धर्म के रखवाले को नक्‍सलीयों से डर नही लगता। ये खबर मुझे कुछ महीने पूर्व वेलेन्‍टाइन डे, और फ्रेन्‍डशिप डे के दिन मालूम चल गया, जब राजधानी रायपुर मे ये संगठन इस आयोजन को पश्‍चिमी संस्‍क़ृति बताकर विरोध प्रर्दशन कर रहे थे इतनी बहादूरी भला किस संगठन मे हो सकती है।अखबार से लेकर टी़वी़ चैनल तक में हेडलाइन्‍स बनने वाले धार्मिक संगठन को भारत के लोग कितने हल्‍के मे ले रहे है ये राजनेताओं के मानसिक दिवालियापन को दर्शाता है
मै तो अगली चिटठी पुलिस महानिदेशक को लिखने वाला हू और उनसे आग्रह करूंगा कि जितने भी धार्मिक संगठन है उन्‍हे तत्‍काल सलवा जुडूम आंदोलन के लिए भेजा जाएं ,और तैयारी कराने की कोई जरूरत न‍ही है उनकी देशभक्ति पर कृपया शक न करें ये हमारे धर्म को बचाने के लिए हमेशा आगे रहते है और वैसे भी जब ये एक राष्‍टीय समस्‍या है तों फिर राष्‍ट सेवा का मौका देना तो बहूत जरूरी है।
धन्‍यवाद

3 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

सुझाव उत्तम है।
वर्ड वेरीफिकेशन हटाएँ। वरना टिप्पणियों का अकाल रहेगा।

Dev said...

Sabse pahale mujhe aapki ped par photo bahut achchhi lagi....
I like ur about me.....

राज भाटिय़ा said...

बिलकुल सही कहा आप ने मै सहमत हू आप के लेख से.
धन्यवाद