Monday, October 6, 2008

पत्रकारिता विश्वविद्यालय बनाम चटूकारिता विश्वविद्यालय

कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं भारतीय लोकतंत्र के निचले से भी न्यूनतम हो चुके है। अधिकतर छात्र इसका विरोध भी करते आएं है। लेकिन विश्वविद्यालय अपने मूलमंत्र 12 चपरासी फुल अययाशी, में व्यस्त है। पत्रकारिता के नाम पर नाममात्र शिक्षा मिलती है। और चटूकारिता करने में फूल नम्बर। इस घटना को एक साल हो चुके है। 4 अक्टूबर 2007 को छात्र धरने पर बैठ गए। छात्रों की मांग सिर्फ शिक्षकों की भर्ती को जल्द से जल्द पूरा करने की थी। जिसे आज 1 साल हो चुके है, पिछले साल विज्ञापन भी निकाले गए और साक्षात्कार भी हो चुका,लेकिन शिक्षको की भर्ती प्रक्रिया का कोई पता नही ,पिछले साल सीनियर ,जूनियर छात्र एक साथ मांग पर आंदालने में कूदे थे। सीनियर छात्रों की पढ़ाई पूरी हो गई। जूनियर छात्र आज भी पढ़ रहे है लेकिन मात्र 3 शिक्षक है, जो पहले से ही है। आज तक छात्र शिक्षक के बगैर लाइब्रेरी के भरोसे पढ़ाई करते है। लाइब्रेरी में पुस्तके भरी हुई है इन्ही पुस्तकों को पढ़कर छात्र आंदोलन मे कुद पडे थे। धन्य हो कुलपति महोदय का पुस्तकें तो उपलब्ध हो पाई।
कुलपति महोदय से पढ़ाई के बारे में चर्चा करने पर घूमा-फिराकर कर जवाब देते है। 52 हजार फीस देकर पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को संतुष्ट करने के लिए पडोसी राज्य मध्यप्रदेश के माखनलाल वि.वि. से मेहमान शिक्षक भी बुलाएं जाते रहे है। और रविवार को भी कक्षा लगने का कार्य भी तगड़ा चला ,फिर सभी माहौल शांत होते देख वि.वि.प्रशासन खामोश हो गया ,छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले कुलपति महोदय फिल्मी डॉयलॉग भी सुनाते है महोदय के सीधे-साधे रवैये से छात्र हर बार ठगे जाते रहे है। और आज तक पुनरावृत्ति हो रही है।
छात्र हर बार की पुनरावृत्ति से दो धड़ मे बट चुके है। एक तरफ पत्रकारिता के तो दूसरी तरफ चटूकारिता के छात्र आपसे मे भीड़ जाते है। और वि.वि. प्रशासन खामोश रहता है। अब समस्या क्षेत्रवाद तक बढ़ गया है, छात्र क्षेत्रवाद के शिकार हो रहे है। पूरे वि.वि. में अराजकता का माहौल बढ़ाता जा रहा है। तो छात्र भी चुप्पी साधे हुए है। छत्तीसगढ़ सरकार के सात वि.वि. में कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता वि.वि.भी शामिल है, जो फिलहाल किराए के भवन में संचालित हो रही है। वि.वि. में अटल बिहारी बाजपेयी का योगदान भी है रमन सरकार के कार्यकाल में इस वि.वि. का हाल बेहाल है। जब पांच साल के कार्यकाल मे छात्रों को शिक्षक मुहैया नही कर पायी तो आगे कार्यकाल मे इसका हाल प्रशासन भरोसे है
फिलहाल अधिकतर छात्र चटूकारिता करने से व्यस्त है, और अव्यवस्था के खिलाफ बोलने वाले बचे कुछ छात्र डिफाल्टर घोषित हो चुके है और यही चटूकारिता करने वाले छात्र आगे चलकर राजनीति करने की बात करते है पता नही हमारे लोकतंत्र का और चटूकारिता-पत्रकारिता का भविष्य किसके हाथ में है……………………………………….

3 comments:

Anil Pusadkar said...

sahi likha aapne.sabhi university ka yahi hal hai.chatukarita aur chhatron se pakshpat aaj ki baat nahi hai guru dron ke jamaane se ye chala aa raha hai.

Virendra Verma said...

bahut khub likha hai aapne.university ke kulpati ager apka blog padh rahe honge to sharma se paani-paani ho rahe honge.

ज्ञान said...

भविष्य किसने देखा है